अपनी तलाश में
06 Nov 2007 Share on:
आज सुबह से ही मन उदास है। पता नहीं क्यों लेकिन है . कभी - कभी सोचता हूँ कि आदमी कितना विचित्र होता है, बिना किसी कारण ही परेशान और उदास हो जाता है। समझने कि कोशिश कर रहा हूँ अपने आप को। पता नहीं कब समझ पाऊंगा। इंतज़ार कर रहा हूँ उस क्षण का जब मैं अपने को समझ पाऊंगा और एक यायावर मेघ खंड कि तरह इस आसमान में उड़ जाऊंगा।
तब तक अपनी ही तलाश में -
पलक