systemhalted by Palak Mathur

जिसकी चाहत मेरा ख़्वाब है

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कुछ अरमान इस दिल के,
तन्हा जीवन से तन्हाई मिटाने के ख़्वाब,
कुछ चाहत उसे पाने की,
थोड़ी आरज़ू उसमे खो जाने की,
कितने हसीन हैं यह सब|

लेकिन साथ है डर इन सबके खो जाने का,
उससे दूर हो जाने का,
जानता नहीं क्या होगा आगे,
पर सोच रूकती कहाँ है, जाती है भागे,
इस रफ़्तार से की पकड़ना मुश्किल है,
उसके साथ चलता तो हूँ
शायद "साथ" में उसके होने की चाहत है,
जिसकी चाहत मेरा ख़्वाब है|
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