अपनी ही तैलाश में हूँ, गैरों कि तरह
17 Dec 2007 Share on:
अपनी ही तैलाश में हूँ, गैरों कि तरह,
ज़माने के साथ हूँ, बेसहारों कि तरह!
न जाने कब यह ज़िंदगी सुधर जायेगी,
खो गया हूँ यहाँ ख्यालों कि तरह!!
अपनी ही तैलाश में हूँ, गैरों कि तरह,
ज़माने के साथ हूँ, बेसहारों कि तरह!
न जाने कब यह ज़िंदगी सुधर जायेगी,
खो गया हूँ यहाँ ख्यालों कि तरह!!