अपनी ही तैलाश में हूँ, गैरों कि तरह,ज़माने के साथ हूँ, बेसहारों कि तरह!न जाने कब यह ज़िंदगी सुधर जायेगी,खो गया हूँ यहाँ ख्यालों कि तरह!!