शिकवा नहीं है अब उससे
18 Dec 2007 Share on:
रोज़ अपनी ही तैलाश में निकलता हूँ सवेरे,
पर अपने आप को न पा पता हूँ,
जिंदगी भी अब परेशान है मुझसे,
शिकवा नहीं है अब उससे।
रोज़ अपनी ही तैलाश में निकलता हूँ सवेरे,
पर अपने आप को न पा पता हूँ,
जिंदगी भी अब परेशान है मुझसे,
शिकवा नहीं है अब उससे।