systemhalted by Palak Mathur

सिर्फ़ है तेरा आसरा

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ज़िंदगी से रंजिश है मेरी, क्यों है न जानता हूँ मैं, खुशी आती है पल भर के लिए, बैठती ही नहीं है साथ मेरे, न जाने किस बात की नाराज़गी है, न समझ पाता हूँ मैं!

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