systemhalted by Palak Mathur

सब कुछ बेगाना हो गया है

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धोका खाकर दिल बेसहारा हो गया है, दुश्मन ना था कोई पर हर कोई अब रंजिश में हो गया है; सोचता हूँ के क्या बुरा किया था मैंने, की अपनों में ही सब कुछ बेगाना हो गया है!!

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