एक कविता उन शहीदों के नाम
09 May 2009 Share on:
हुकुम ख़ुदा का माने, या सियासी मेहरबानों का, गर्दिश में तारे हिन्दोस्तान के नज़र आते हैं, या माने उनकी जो खुद फ़नाह हुए, जो आजकल ख्वाबों में नज़र आते हैं|
हुकुम ख़ुदा का माने, या सियासी मेहरबानों का, गर्दिश में तारे हिन्दोस्तान के नज़र आते हैं, या माने उनकी जो खुद फ़नाह हुए, जो आजकल ख्वाबों में नज़र आते हैं|