पानी के बेहने को अश्क़ नहीं कहते
22 Jun 2009 Share on:
दर्द कितना है दिल में न जान पाओगे, हम रोज़ अपने ग़म का इश्तेहार नहीं करते, जो आँख से टपकें लहू तो बतायेंगे, पानी के बेहने को अश्क़ नहीं कहते॥
दर्द कितना है दिल में न जान पाओगे, हम रोज़ अपने ग़म का इश्तेहार नहीं करते, जो आँख से टपकें लहू तो बतायेंगे, पानी के बेहने को अश्क़ नहीं कहते॥