कब होगा यह सच, या कभी नहीं?
04 Aug 2009 Share on:
कब से अरमान ज़िन्दगी के जगा रहा हूँ,
कब से उसे मैं बिन रुके बुला रहा हूँ,
कब से इंतज़ार है उसके आने का,
कब से विचार है उसमें डूब जाने का,
कब से आरज़ू है उसकी आवाज़ में खो जाने की,
कब से चाहत है उसकी चाहत को अपना बनाने की,
कब तक यह रहेगा एक सपना,
कब होगा यह सच, या कभी नहीं?