कुछ पोखरण यहाँ भी, कुछ विस्फ़ोट वहां भी
12 Mar 2011 Share on:
कुछ पोखरण यहाँ भी, कुछ विस्फ़ोट वहां भी,
एटम बम बनाके है खुश यह जहान भी,
जब फटेगा यह बम हमारे आशियाने या तुम्हारे आशियाने में,
चीथड़े उड़ेंगे कुछ यहाँ भी कुछ वहां भी|
आँखें नम होंगी दुनिया में हर इंसान की,
शोक मनाये जायेंगे कुछ यहाँ भी कुछ वहां भी,
एटम बम बनाके है खुश यह जहान भी,
कि फिर होंगे कुछ पोखरण यहाँ भी, कुछ विस्फ़ोट वहां भी ||