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एक कविता उन शहीदों के नाम

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हुकुम ख़ुदा का माने, या सियासी मेहरबानों का, गर्दिश में तारे हिन्दोस्तान के नज़र आते हैं, या माने उनकी जो खुद फ़नाह हुए, जो आजकल ख्वाबों में नज़र आते हैं|

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